नई दिल्ली/तेल अवीव: इजरायल पर भारत का बहुत बड़ा कर्ज है। दरअसल, भारत ने 100 साल पहले इजरायल के हाइफा शहर को तुर्कों से आजाद कराया था। इजरायल ने ओटोमन शासन से मुक्ति में भारतीय सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। बीते सोमवार को हाइफा नगरपालिका अधिकारियों ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हाइफा की लड़ाई में बहादुरी से लड़ने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इजरायल स्थित भारतीय दूतावास ने हाइफा युद्ध की 107वीं वर्षगांठ मनाई गई, जिसमें ये बातें कही गईं।
इजरायल की किताबों में भी होगा बदलाव
हाइफा शहर के मेयर योना याहाव ने यह ऐलान किया कि स्थानीय स्कूलों में इतिहास के पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाएगा ताकि यह सच्चाई सामने आए। इन किताबों में यह बताया जाएगा कि हाइफा शहर को आजाद कराने वाले अंग्रेज नहीं, बल्कि भारतीय सैनिक थे। शहीद सैनिकों की वीरता को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक समारोह में भारतीय कब्रिस्तान में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए याहाव ने कहा-मेरा जन्म और स्नातक स्तर की पढ़ाई इसी शहर में हुई। वर्षों तक हमें यही पढ़ाया जाता रहा कि हाइफा को अंग्रेजों ने आजाद कराया था। एक दिन ऐतिहासिक सोसायटी के एक सदस्य मेरे घर आए और मुझे बताया कि एक व्यापक शोध से यह साबित हो गया है कि इस शहर को ओटोमन साम्राज्य से अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों ने आजाद कराया था।हाइफा की लड़ाई सबसे तेज विजय अभियान
हाइफा की लड़ाई को अब इतिहास के अंतिम महान घुड़सवार अभियानों में से एक माना जाता है। भालों और तलवारों से लैस भारतीय रेजिमेंटों ने माउंट कार्मेल की खड़ी ढलानों को पार करके ओटोमन सेनाओं को खदेड़ दिया। कठिन बाधाओं के बावजूद उन्होंने पूरे शहर को सुरक्षित कर लिया। इस वीरतापूर्ण अभियान को उसकी असाधारण बहादुरी और रणनीतिक प्रभाव के लिए याद किया जाता है।