नर्मदा महोत्सव का दूसरे और समापन दिवस पर भेडाघाट की संगमरमरी वादियों में देखने मिला संस्कृति, भक्ति और प्रकृति का त्रिवेणी संगम. - BAWANDAR

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नर्मदा महोत्सव का दूसरे और समापन दिवस पर भेडाघाट की संगमरमरी वादियों में देखने मिला संस्कृति, भक्ति और प्रकृति का त्रिवेणी संगम.

 

मैथिली ठाकुर और लखवीर सिंह लक्खा की जादुई आवाज से गूंज उठी भेड़ाघाट की संगमरमरी वादियां.

दो दिवसीय नर्मदा महोत्सव के समापन पर बिखरे कला और संस्कृति के रंग.

जबलपुर



भेड़ाघाट की संगमरमरी वादियों और प्रकृति के अनुपम सौंदर्य के बीच आयोजित 22वें नर्मदा महोत्सव के दूसरे दिन और समापन दिवस पर संस्कृति, भक्ति और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। संगमरमरी सौंदर्य के लिए दुनियाभर में मशहूर भेड़ाघाट में दो दिवसीय नर्मदा महोत्सव के समापन पर लोक नृत्यों और भजन गायन का श्रोताओं और कला रसिकों ने जमकर आनंद उठाया। शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की दूधिया रोशनी से नहाई भेड़ाघाट की संगमरमरी वादियों का सौंदर्य भी आज प्रकृति-प्रेमियों के लिए अद्भुत नजारा पेश कर कर रहा था।

 

नर्मदा महोत्सव के दूसरे दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मुख्य आकर्षण मधुबनी की भजन गायक सुश्री मैथिली ठाकुर और पंजाब के लखवीर सिंह लक्खा द्वारा भजनों का गायन था। गोंडवाना साम्राज्य की महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती के शौर्य और पराक्रम पर केंद्रित नाटक भी दूसरे दिन की सांस्कृतिक संध्या का आकर्षण रहा। इस नाटक ने श्रोताओं को न केवल अपने अतीत के गौरव से परिचित कराया बल्कि वीरांगना रानी दुर्गावती के युद्ध कौशल के साथ-साथ प्रशासनिक दक्षता से भी अवगत कराया। परम्परागत रूप से नर्मदा पूजन के बाद शुरू हुए दूसरे दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज संस्कार भारती जबलपुर के कमलेश यादव एवं उनके समूह द्वारा वीरांगना रानी दुर्गावती के जीवन पर पर केंद्रित इसी नाटक से हुआ। इसके तुरंत बाद राजस्थान के जवाहरनाथ ग्रुप द्वारा प्रस्तुत चरी और घूमर लोकनृत्य ने उपस्थित कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

नर्मदा महोत्‍सव के दूसरे और समापन दिवस के सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों के मुख्‍य अतिथि प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री और नर्मदा महोत्सव के प्रणेता श्री राकेश सिंह थे। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने की। विधायक श्री अशोक रोहाणी, विधायक श्री सुशील तिवारी इंदु, विधायक श्री नीरज सिंह, नगर निगम जबलपुर के महापौर श्री जगत बहादुर सिंह अन्नू, नगर परिषद भेड़ाघाट के अध्यक्ष श्री चतुर सिंह, नगर परिषद के उपाध्यक्ष श्री जगदीश दाहिया, प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष श्री अखिलेश जैन, भाजपा के जिला अध्यक्ष राजकुमार पटेल एवं भाजपा के जबलपुर महानगर अध्यक्ष श्री रत्नेश सोनकर एवं अपर कलेक्‍टर नाथूराम गोंड विशिष्‍ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।

 

महोत्सव की मर्यादा और गरिमा सर्वोपरि - लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह

लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने अपने संबोधन में नर्मदा महोत्सव की शुरुआत के दिनों को याद करते हुए कहा कि 22 वर्ष पूर्व जब मेरे मन में यह कल्पना आई थी, तो लगा था कि मां का यह प्राचीन स्थान है और यहां एक ऐसा महोत्सव होना चाहिए जिसे हर कोई अपना कहे, लेकिन वो मां की मर्यादा और गरिमा के अनुरूप हो। उन्होंने कहा कि बहुत सारी चुनौतियों के बावजूद यह महोत्सव यहां तक पहुंचा है और खुशी है कि हर कोई इसे अपना मानता है।

 

लोक निर्माण मंत्री श्री सिंह ने महोत्सव की गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा, "यहां क्वांटिटी नहीं, क्वालिटी महत्वपूर्ण है। यह मां का किनारा है और यहां कार्यक्रम मां की गरिमा और मर्यादा के अनुरूप ही होना चाहिए। इसलिए शुरू से यह कोशिश रही कि यहां भजन, सूफी संगीत या क्लासिकल जैसे आयोजन हों, ताकि मां की मर्यादा भंग न हो।" उन्होंने कहा कि यह महोत्सव जबलपुर की एक सांस्कृतिक विरासत के रूप में आगे बढ़े और आने वाली पीढ़ियां इस पर गर्व कर सकें। उन्होंने सभी से इस कार्यक्रम को शांति और सम्मान के साथ सफल बनाने की अपील की।

 

नर्मदा मैया हमारी जीवन रेखा - पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी.

 

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने नर्मदा महोत्सव को मध्य प्रदेश का सबसे सुंदर और प्रकृति की गोद में होने वाला आयोजन बताया। उन्होंने कहा मंच के पीछे ये जो चट्टानें हैं, ये अपने आप में अद्भुत हैं। राकेश सिंह जी ने जिस प्रकार 22 वर्षों से इस महोत्सव को निरंतरता प्रदान की है और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने-संवारने का काम किया है, मैं उन्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

 

पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री श्री लोधी ने नर्मदा को जीवनदायिनी बताते हुए कहा कि नर्मदा मैया केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति को प्रकट करने वाली जीवन रेखा है। यह सुरम्य तट अपने आप में अद्भुत और अविस्मरणीय है। श्वेत धवल संगमरमर की चट्टानों के बीच कल-कल बहती मां नर्मदा हम सबको आशीर्वाद देती हैं। उन्होंने सभी के लिए सुखी निरोगी जीवन की मंगल कामना की।

 

विकास और विरासत दोनों को सहेजना जरूरी - बरगी विधायक नीरज सिंह.

 

बरगी विधायक श्री नीरज सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह 22 वां नर्मदा महोत्सव है, जिसकी शुरुआत 21 वर्ष पूर्व लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह जी द्वारा ही की गई थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह एक बच्चे को जन्म देकर उसे वयस्क बनाया जाता है, कुछ वैसी ही नर्मदा महोत्सव की यात्रा रही है। आज 22 वर्षों में यह महोत्सव प्रदेश में स्थापित हो चुका है और हमारी सांस्कृतिक विरासत और पहचान बन गया है।

 

उन्होंने मंत्री राकेश सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे "विकास भी और विरासत भी" के मंत्र पर जबलपुर को विकसित करने में लगे हुए हैं। कोई भी नगर तभी विकसित माना जाता है, जब उसके पास बताने के लिए सांस्कृतिक गौरव हो। हमें अपनी विरासत को भी सहेजने की ज़रूरत है। आज का यह त्रिवेणी संगम, जिसमें प्रकृति, संस्कृति और भक्ति का मिलन हो रहा है, आप सभी का मन मोह लेगा।

 

नर्मदा महोत्‍सव के दूसरे और समापन दिवस की सांस्कृतिक संध्या का प्रमुख आकर्षण मधुबनी की मैथिली ठाकुर के भजनों का श्रोताओं को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। जवाहरनाथ और ग्रुप द्वारा प्रस्तुत राजस्थानी लोक नृत्यों के तुरंत बाद सुश्री मैथिली ठाकुर के भजनों ने पूरे वातावरण को भक्ति रस में डुबो दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों वर्ष 2024 के कल्चरल एम्बेसडर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से सम्मानित सुश्री मैथिली ठाकुर ने भजनों की शुरुआत माँ नर्मदा के जयघोष से और मॉं नर्मदा की स्तुति में "त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे" के गायन से की। इसके बाद उन्होंने अपनी कर्ण प्रिय आवाज में "राम को देखकर श्री जनक नन्दिनी बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी" "तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है" "राधिका गोरी से बिरज की छोरी से मैया करा दे मेरो ब्याह" " मीठे रस से भरयोरी राधा-रानी लागे, मने खारो खारो जमना जी रो पानी लागे" "राधे-राधे जप चले आएंगे बिहारी ‘’रामा राम रटते-रटते बीती रे उमरिया’’ और ‘’मेरी झोपड़ी के भाग्य आज खुल जायेंगे, राम आयेंगे’’ जैसे भजन प्रस्तुत कर भगवान राम और कृष्ण की भक्ति की जो सरिता बहाई, श्रोता उसमें डूबते चले गये।

 

 नर्मदा महोत्सव के दूसरे और समापन दिवस की सांस्कृतिक संध्या की अंतिम प्रस्तुति पंजाब के लखबीर सिंह लक्खा के भजन रहे। नर्मदा महोत्सव के दूसरे दिन शरद पूर्णिमा पर रंगबिरंगी आतिशबाजी भी दर्शकों के बीच आकर्षण का केन्द्र रही। आज महोत्सव के पहले दिन की अपेक्षा कहीं ज्यादा कला रसिकों ने भजनों और लोक नृत्यों का लुत्फ उठाने भेड़ाघाट पहुंचे थे।